भोपाल l मैं "समय"हूं ,मैं समय चक्र के हिसाब से चलता रहता हूं.महाभारत काल में मेरा नाम "संजय" था, वर्तमान बदली हुई परिस्थितियों में एक पत्रकार हूं,मैंने आज गोंडवाना राज्य को दृष्टिगत रखते हुए "एक जुझारू बुंदेलखंड की अजातशत्रु खूब लड़ी मर्दानी वह तो डूडा वाली रानी"साध्वी... का आंखों देखा हाल सुना। इशारों ही इशारों में हमले हुए, हमले के ऊपर कुछ बात ऊपर निकल कर आती है। जैसे  कि 90 से 92 और 96 से 2013 तक की तमाम बातें...।
विश्व के पटल पर लोकतंत्र की दुहाई वाली भाजपा को लेकर चर्चा जोरों पर है, एक तरफ संघ तो दूसरी तरफ अपराजित योद्धा और उनकी टीम है,  कहने को इतना ही है कि शक्ति के उवाच पर संकेत क्या आ रहे है, 2003 में महाकाल के आशीर्वाद से मध्यप्रदेश में भाजपा की सत्ता में वापसी हुई थी, उसी के बाद से निरंतर सत्ता चलती रही। "सिंहस्थ 2016" हुआ और भाजपा के हाथ से 2018 के चुनाव में सत्ता चली गई, सत्ता मिली लेकिन 2023 में उज्जैन के शिष्य को पुनःसत्ता की प्राप्ति हुई, मध्यप्रदेश भाजपा की प्रयोगशाला है और इस प्रयोगशाला से जो निकलता है वह आगे जाता है लेकिन इस घटनाक्रम से भाजपा की गुत्थी  उलझती हुई नजर आ रही है, क्योंकि मैं तो महाभारत का संजय बनकर आपको वही चित्रण कर रहा हूं जो हो रहा है... इसके बाद मैं आपको ले चलूंगा दिल्ली के तख्त की उलझती हुई भाजपा की उलझनो की ओर.....अतुल पुरोहित ( लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)