दिव्य चिंतन - हरीश मिश्र 

    रायसेन शहर में कल दो  घटनाएं दिन-भर चर्चा का विषय रहीं। पहली वन क्षेत्र छोड़कर बाघ ने शहरी क्षेत्र में प्रवेश किया और अपने पग चिह्न छोड़ गया ।  दूसरी वन क्षेत्र में पत्थरों पर  वैध-अवैध उत्खनन के चिन्ह छोड़ने वाले धाकड़  नेताओं ने पुनः काया परिवर्तन ( दल-बदल ) किया। जिन नेताओं की विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद किर-किरी हुई, अब उनको  उम्मीद है कि बसंत में हरी-हरी होगी । उनके मिठ्ठू फिर डाल-डाल पर बैठकर सत्ता के आम का रसास्वादन करेंगे।

   शहर में सोशल मीडिया पर बाघ विचरण का वीडियो वायरल हुआ। बाघ  गोल्डन सिटी से होता हुआ, 32 करोड़ की घटिया सड़क पार कर , दीवार फांदकर कर रॉयल गार्डन के अंदर प्रवेश कर गया । कुछ दिन पहले बाघ ने पुलिस कप्तान के निवास पर भी सलामी देकर अहसास करा दिया था कि वन विभाग की ‌वह बार-बार परेड़ कराएगा।

   कई दिनों से बाघ, बाघिन और दो शावकों के नीम खेड़ा, खरबई, ताजपुरा, दुर्ग और सीता तलाई पहाड़ी पर विचरण की अफवाहें और वीडियो वायरल हो रहे थे।
   
      वन्यजीव विशेषज्ञ अनुसार बाघ बड़े क्षेत्रों में घूमता है, जिसे इलाका कहते हैं। बाघ अपने इलाके  मूत्र और मल विसर्जन से चिह्नित करता है ताकि अन्य बाघों को पता चल सके कि उस स्थान पर उसने कब्जा कर लिया है।

   दूसरी तरफ मतदाताओं का सांची विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस से भाजपा, भाजपा से कांग्रेस, फिर कांग्रेस से भाजपा में आए नेताओं को देखकर सर चकरघिन्नी हो जाता है कि... कौन कांग्रेसी, कौन भाजपाई ! कांग्रेसी ही भाजपाई है , भाजपाई ही कांग्रेसी ! सभी दलबदलु हैं।

    नाथ सरकार के पतन के बाद, शाहीन बाग समर्थक, धर्मनिरपेक्षता की टोपी उतार कर तिलक लगाकर भाजपा परिवार में सम्मिलित हुए थे। तब भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ताओं ने संगठन के सामने चीख-चीखकर पुकार लगाई की इनका  भाजपा प्रवेश अनुचित है। लेकिन संगठन ने एक नहीं सुनी।

     वन्यजीव विशेषज्ञ अनुसार  बाघ कभी लकड़बग्घों का शिकार नहीं करता। वह जानता है कि लकड़बग्घे  झुंड में रहते हैं और बाघ को  चारों तरफ से घेर कर  जगह-जगह से नोचते हैं । हुआ भी यही  कांग्रेस से आए कार्यकर्ताओं ने झुंड में भाजपा के कार्यकताओं को नोचा।

   तब विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा के धाकड़ नेताओं ने उपेक्षित होने पर भाजपा छोड़ कांग्रेस की काया में प्रवेश कर प्रभु !  की सत्ता को चुनौती दी  ।

    भाजपा को अपने अनुशासन पर बहुत गर्व था। लेकिन उसके अनुशासन प्रिय कार्यकर्ता उपेक्षा से पीड़ित होकर गैरतगंज से भोपाल तक कारों के काफिले में बैठकर, भाजपा के मिठ्ठू मंडल-कमंडल छोड़-कर कांग्रेस के  ठूठ पर बैठ गए। जो नाराज भाजपाई थे उन्होंने  उद्घोष किया प्रभु राम को वनवास होगा। लेकिन मतदाताओं ने प्रभु राम का राजतिलक किया। चुनाव परिणाम के बाद मिठ्ठू पंख विहीन हो गया। प्रदेश में  कांग्रेस के पास ठूंठ ही बचा ‌। इसलिए फिर से धाकड़ नेताओं ने भाजपा का रवन्ना कटवाकर राहत की सांस ली है।


   प्रभु से प्रार्थना है !  कांग्रेस से आए कार्यकर्ता भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को नोचे नहीं और शहरी क्षेत्र में बाघ विचरण ना करे। 

  हे प्रभु ! सभी को जियो और जीने दो ! सत्ता का सोम रस सभी को पीने दो ! होली  बदरंग मत करना! जमकर हुल्लड़ बाज़ी कर कहना बुरा ना मानो होली है।

लेखक ( स्वतंत्र पत्रकार )