जबलपुर l नरवाई जलाये बिना खेतों में बुआई के प्रदर्शन का सिलसिला जारी है । गुरुवार को पनागर विकासखण्ड के ग्राम ख़िरीयकलां में हैप्पी सीड ड्रिल मशीन से उन खेतों में मूंग की बुआई की गई जहाँ कम्बाइंड हार्वेस्टर से कटाई के बाद गेहूँ की फसल के अवशेष मौजूद थे ।

उप संचालक किसान कल्याण एवं कृषि विकास रवि आम्रवंशी के मुताबिक खेती की लागत कम करने और कम समय में अतिरिक्त फसल के लिये जिले के किसानों को लगातार नवाचार हेतु प्रेरित किया जा रहा है।उन्होंने बताया कि पिछले कुछ वर्षों से जिले में कम्बाइन हार्वेस्टर से गेंहू की कटाई का चलन बढ़ा है। जिससे कटाई उपरान्त खेतों में बचे फसल अवशेष (नरवाई) को किसान जला देते हैं और उसके बाद खेत की जुताई करके उड़द या मूंग की बुआई करते हैं ।

उपसंचालक किसान कल्याण के अनुसार फसल अवशेष जलाने से वातावरण प्रदूषित होता है तथा आम जनता में श्वास की बीमारियों का खतरा भी बढता है। साथ ही तापमान में वृद्धि भी होती है। इन सभी समस्याओं से निपटने का सबसे अच्छा विकल्प है "जीरो टिल सीड ड्रिल" या "हैप्पी सीडर" से बीज की बोनी है ।

श्री आम्रवंशी ने बताया कि जीरो टिलेज से किसानों को बहुत से लाभ होते हैं । इनमें एक फसल काटने के तुरंत बाद दूसरी फसल की बोनी की जा सकती है। पहली फसल के अवशेष दूसरी फसल के लिये मल्चिंग का काम करती है। इससे पानी के वाष्पन की गति धीमी होती है तथा जल संरक्षण में मददगार होती है।गेंहू फसल के अवशेष अगली फसल के लिये जैविक खाद का काम करते है। भूमि में निरंन्तर नमी बने रहने से भूमि के अंदर तथा बाहर पलने वाले मित्र कीटों को नुकसान नही होता है । फसल अवशेष सडने से भूमि का आर्गेनिक कार्बन कटेंट बढता है तथा भूमि की जल धारण क्षमता में भी बढोत्तरी होती है।

पराली (नरवाई) जलाने की समस्या से निपटने हेतु कृषि विभाग तथा कृषि अभियांत्रिकी विभाग के अमले की उपस्थिति में पनागर विकासखंड के ग्राम खिरियाकला के किसान सचिन पटेल, शिवनंदन पटेल एवं अनूप पटेल के खेत पर हैप्पी सीडर से मूंग की बोनी का प्रदर्शन कराया गया । प्रदर्शन के दौरान उप संचालक कृषि रवि आम्रवंशी ने किसानों को हैप्पी सीडर से बुआई से होने वाले फायदों की जानकारी दी ।

इस अवसर पर सहायक संचालक कृषि श्रीमती कीर्ति वर्मा, अभियांत्रिकी विभाग के इंजीनियर श्री मेहरा, वरिष्ठ कृषि विकासअधिकारी पंकज शर्मा एवं कृषि विस्तार अधिकारी डी के नेमा के साथ-साथ बड़ी संख्या में कृषक बडी संख्या में उपस्थित थे।