कागजों में मिष्ठान खरीदी, भुगतान निजी खातों में

मिठास में घुला भ्रष्टाचार!
गणतंत्र दिवस पर मिष्ठान की राशि कर्मचारियों के खाते में
रायसेन ( हरीश मिश्र 9584815781)
जब देश गणतंत्र दिवस 24 को अपने लोकतंत्र की गौरवगाथा मना रहा था, तब सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन विभाग के अधिकारी ने ‘ मिष्ठान घोटाला’ कर दिया दिया।
गणतंत्र दिवस के मिष्ठान वितरण की राशि कथित रूप से मिठाई की दुकानों की बजाय विभाग के अधिकारी, कर्मचारी , संविदा लेखापाल और चौकीदार के निजी खातों में ट्रांसफर कर दी गई।
कागज़ों में मिष्ठान खरीदी, भुगतान निजी खातों में
सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेजों अनुसार "बिकानेर मिष्ठान भंडार", "साहिब जनरल स्टोर" और "ओम साईं इलेक्ट्रिकल्स" जैसे प्रतिष्ठानों के नाम से बिल लगाए गए, परंतु इनका भुगतान ₹27,407 की राशि निजी खातों में कर दिया गया।
कौन हैं जिम्मेदार?
इस प्रकरण में पूर्व प्रभारी उपसंचालक एस.के. गहरवाल और उनके सहयोगियों की भूमिका पर सवाल खड़े हुए हैं। पूरे भुगतान को योजनाबद्ध तरीके से विभागीय मिलीभगत से अंजाम दिया गया। न सिर्फ फर्जी बिल बनाए गए, बल्कि लाभार्थी दुकानों से बिना कोई सामग्री लिए, सीधे राशि अधिकारी की जेब में पहुंच गई।
'महालेखा परीक्षक और वित्त मंत्रालय के निर्देश हैं कि सभी विभागीय भुगतान केवल अधिकृत प्राप्तकर्ता/विक्रेता/सेवा प्रदाता के नाम से ही उनके वैध खाते में किए जाएं। किसी "बिल" के एवज में किसी कर्मचारी के खाते में भुगतान करना वित्तीय अनियमितता और भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है।'
"भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (संशोधित 2018)। अनुसार सरकारी अधिकारी जानबूझकर किसी योजना/सामग्री/सेवा से जुड़े भुगतान को व्यापारी के बजाय खुद के या सहयोगी कर्मचारी के खाते में ट्रांसफर करता है, तो यह "भ्रष्टाचार की मंशा से की गई आपराधिक कदाचरण" के अंतर्गत आता है।" दूसरी तरफ संबंधित अधिकारियों ने इन आरोपों को गलत बताया है l