दिव्य चिंतन - मेरी कलम ! सृजन का शस्त्र, क्रांति का संदेश
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विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनाएं 🎉 🎉 🎉
दिव्य चिंतन (हरीश मिश्र)
जीवन में इस पल तक अपनी रक्षा करने के लिए शस्त्र उठाने की आवश्यकता मुझे नहीं पड़ी । मेरे पास जो शस्त्र है । वह रक्तपात नहीं करता, जिस शस्त्र से सत्ता के अभिमान को भी तोड़ा जा सकता है । वह है मेरी कलम ।
विजयादशमी के पर्व पर अपने शस्त्र कलम की पूजा कर मां सरस्वती से वरदान मांगा हे मां ! हर गरीब, बेबस, के बहते हुए आंसुओं को पोंछती रहे मेरी कलम ! घोर अंधेरे में आशा की किरण बने मेरी कलम ! सच्चे को सच्चा,अच्छा को अच्छा लिखने में साथ देती रहे मेरी कलम !
मेरी कलम " मूक " जनता की आवाज़ बने! बेजुबान की ज़ुबान बनकर उनके हक के लिए लड़े! छोटी से छोटी कमज़ोरियों को, बड़ी सी बड़ी खूबियों को उजागर करे मेरी कलम ! ज़िंदगी के हर मोड़ पर साथ देती रहे मेरी कलम !
मेरी कलम ने शब्दों को पाला है, हर पल अपना रक्त पिलाकर l मेरी कलम रख सकती है , तख्तोताज की नींव हिलाकर ! मेरी कलम से अब मैं अपने,अंतर्मन के द्वंद लिखूंगा । मेरी कलम वीरों का इतिहास लिखेगी ! वाणी का वरद पुत्र हूं, मूक माटी का सेवक हूं शब्द दूत हूं, दिव्य घोष हूं ! मृत्युंजय हूं ! मैं मारण हूं !
मेरी कलम के शब्द-शब्द क्रांति चेतना घोल रहे हैं ! ये जो मेरे हाव-भाव में,आक्रोश बन डोल रहे हैं !