विदिशा विकासखंड के ग्राम गोबरहेला के कृषक श्री बृजकिशोर राठी कई वर्षो से खेती कर रहे हैं परन्‍तु मौसम परिवर्तन, रोग एवं कीटों के प्रकोप और लगातर एक ही फसल या किस्‍म के प्रयोग के कारण कृषक को खेती में लागत अधिक फायदा कम और तो और कभी-कभी नुकसान भी उठाना पड रहा था। इन सभी परिस्थितियों से परेशान होकर कृषक श्री राठी ने उन्‍नत कृषि करने का विचार किया परन्‍तु जानकारी के अभाव होने के कारण उन्‍होंने कृषि विभाग एवं आत्‍मा परियोजना के अधिकारियों से संपर्क कर विभागीय योजनाओं अंतर्गत कई प्रकार के प्रशिक्षण एंव भ्रमण कार्यक्रमों में हिस्‍सा लिया। इसके पश्चात आज कृषक श्री राठी ने फसल विविधिकरण कर खेती को बनाया लाभ का धंधा बना लिया है। कृषक श्री राठी की वर्तमान स्थिति की बात करें तो वर्तमान में कृषक फसल विविधकरण अंतर्गत 01 हेक्‍टेयर भूमि पर सोयाबीन की एनआरसी-150 किस्‍म, 04 हेक्‍टेयर भूमि पर सोयाबीन जेएस 2117 किस्‍म, 0.4 हेक्‍टेयर भूमि पर कोदो तथा 1 हेक्‍टेयर भूमि पर अरहर की किस्‍म पूसा -16 एवं साथ में सब्‍जी व फल की खेती कर रहे हैं। साथ-साथ पशुपालन एवं जैविक खेती भी कर रहे हैं। कृषक श्री राठी बताते हैं कि उनके पास कुल 18 देशी गाय हैं। जिससे वह वर्मी कम्‍पोस्‍ट बनाकर लगभग 2 हेक्‍टेयर पर जैविक खेती कर रहे हैं। कृषक ने जब से फसल विविधिकरण एवं आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग कर खेती करना प्रारंभ किया हैं। तब से विपरीत मौसम में भी कृषक को नुकसान कम और फायदा ज्‍यादा हो रहा है। फसलों पर लगने वाले रोग, कीटों में भी फसल विविधिकरण के कारण कमी आयई है। जिससे रासायनिक दवाओं पर होने वाले खर्चों में भी कमी आई है तथा फसल विविधिकरण से भूमि की उर्वरा शक्ति में वृद्धि हुई हैं। इस प्रकार कृषक श्री राठी बताते हैं, कि पहले जहां खेती में प्रति वर्ष नुकसान ज्‍यादा और आमदनी कम हो रही थी, वहां आज कृषि विभाग के सहयोग एवं फसल विविधिकरण की वजह से खेती लाभ का धंधा बनती जा रही है।