सीहोर l किसान भाई सोयाबीन फसलों में खाद एवं फफूंद नाशक दवा तथा कीटनाशक दवा का छीड़काव करें और निंदाई-गुड़ाई के कार्य समय रहते करें। किसान भाई निजी विक्रेताओं से दवा क्रय करते समय ध्यान रखे की वे कृषि विभाग द्वारा पंजीकृत विक्रेताओं से ही खरपतवार एवं कीटनाशक दवा क्रय करे। साथ ही पक्का बिल भी लेवें, जो विक्रेता पक्का बिल नहीं देते हैं, उनकी शिकायत वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी या उप संचालक कृषि सीहोर को कर सकते हैं।

      कृषि विभाग ने बताया कि समयावधि में पकने वाली सौयावीन की किस्मों का चयन करें। सोयाबीन के साथ अरहर और मक्काज्वारकपासबाजराआदि अंर्तवर्तीय फसलों का चयन करें जिससे रबी फसल की बोवनी पर प्रभाव न पड़े। विपरीत मोसम (सूखे कि स्थितिअतिवृष्टि आदि) से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए सोयाबीन की बुआई बीबीएफ पद्धति या रिज एवं फरो पद्धति से करें। अपने क्षेत्र में व्याप्त खरपतवारों के प्रकार देखकर आवश्यकतानुसार बोवनी पूर्वबोवनी के तुरंत बाद उपयोगी या सोयाबीन की खड़ी फसल में उपयोगी किसी एक अनुशंसित खरपतवारनाशक का चयन करें। बोवनी के तुरंत बाद उपयोगी खरपतवारनाशकों का उपयोग केवल 72 घंटों के अन्दर करें।

      खरपतवार नियंत्रण के लिए सोयाबीन की खड़ी फसल में डोरा/कुलपा चलायें या अनुशंसित रासायनिक खरपतवारनाशक का छिडकाव करें। जिन रसायनों के मिश्रण के सम्बंध में कोई वैज्ञानिक अनुशंसा या पूर्व अनुभव नहीं हैऐसे मिश्रण का उपयोग कदापि नहीं करें इससे फसल को नुकसान हो सकता है। जलभराव से होने वाले नुकसान से सोयाबीन फसल को बचाने के लिए अतिरिक्त जल-निकासी सुनिश्चित करें।

पौध संरक्षण

      जहाँ पर फसल 15-20 दिन की हो गई होपत्ती खाने वाले कीटों से सुरक्षा के लिए फूल आने से पहले ही सोयाबीन फसल में क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मिली/हे) का छिडकाव करें। तना मक्खी, पीले मोज़ेक वायरस रोग की प्रारम्भिक अवस्था में ही नियंत्रण के लिए पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम 12.60 प्रतिशत + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50 प्रतिशत जेडसी (125 मिली./हे.) का छिड़काव करें। चक्र भृंग के नियंत्रण हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250-300 मिली/हे.) या थायक्लोप्रिड 21.7 एससी (750 मिली/हे.) या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी (1 ली./हे.) या इमामेक्टीन बेन्जोएट (425 मिली/हे.) का छिड़काव करें। प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे के ग्रसित भाग को तोड़कर नष्ट कर दें। बिहार हेयरी कैटरपिलर का प्रकोप होने पर नियंत्रण के लिए सलाह हैं कि प्रारंभिक अवस्था में ही झुण्ड में रहने वाली इन इल्लियो को पोधे सहित खेत से निष्कासित करें एवं फसल पर लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 04.90 प्रतिशत सी.एस. (300 मिली/हे) या इंडोक्साकार्ब 15.80 EC (333 मिली/हे) छिड़काव करें। जहाँ पर एक साथ पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर / तम्बाकू / चने की इल्ली) तथा रस चूसने वाले कीट (सफेद मक्खी / जसीड) एवं तना छेदक कीट (तना मक्खी/चक्र भृंग) प्रकोप होइनके नियंत्रण के लिए पूर्व मिश्रित क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50 प्रतिशत जेड.सी. पा थायोमिथोक्सम 12.60 प्रतिशत + तेम्बडा सायहेतोग्रिन 09.50 प्रतिशत जेड.सी. (125 मिली/हे) या बीटासायफ्लुप्रिन इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) का छिडकाव करें। अपने खेतों में चूहे के नियंत्रण के उपाय अपनाए इसके लिए फ्लोकोउमाफेन 0.005% रसायन से बने प्रति हेक्टेयर 15-20 बेट/हे बनाकर चूहों के छेदों के पास रखे।