सोयाबीन में खरपतवार से बचाव के उपाय

विदिशा l किसान कल्याण कृषि विकास विभाग के उप संचालक श्री केएस खपाडिया ने कृषकों को सलाह दी है कि सोयाबीन में कीट रोग एवं खरपतवार का नियंत्रण समय पर नहीं करने से उत्पादन प्रभावित होता है। फसल में प्रमुख रूप से संकड़ी पत्ती या एक दलपत्रीय एवं चैड़ी पत्ती या दो दलपत्रीय खरपतवार पाए जाते हैं। जैसे सवा घास, दूब घास, बोकना, बोकनी, मोथा, दिवालिया, छोटी बड़ी दुद्दी, हजार दाना, सफेद मुर्ग इत्यादि।
कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ उप संचालक श्री खपाडिया ने कृषि वैज्ञानिकों की सलाह का हवाला देते हुए बताया है कि फसल की प्रारंभिक अवस्था में 45 से 60 दिन तक फसल खरपतवार मुक्त रहनी चाहिए। इसके लिए 15 से 20 दिन की स्थिति में बेल चलित डोरा या ऽ कल्पा चलाना चाहिए या निंदाई- - गुड़ाई करनी चाहिए। लगातार बारिश - की स्थिति में खरपतवार प्रबंधन - रसायन के छिड़काव किया जा - सकता है। केवल अनुशंसित खरपतवारनाशी का ही उपयोग करें। खरपतवारनाशकों के छिडकाव के लिए 500 लीटर पानी प्रति हैक्टेयर का उपयोग करें। खरपतवारनाशकों के छिड़काव के लिए फ्लैट फेन या फ्लड जेट नोजल का ही उपयोग करें। छिड़काव नम या भुरभुरी मिट्टी में ही करें। सूखी मिट्टी पर छिडकाव नहीं करें। एक ही खरपतवारनाशी का उपयोग बार-बार नहीं करे। रसायन चक्र को अपनाएं। एक से अधिक खरपतवारनाशक या उनका अन्य किसीखरपतवारनाशकों या कीटनाशक के साथ मिश्रित उपयोग कदापि नहीं करें जो अनुशंसित नहीं हो। इससे सोयाबीन के पूर्णतः खराब होने की आशंका रहती है। बोवनी के पूर्व या बोवनी के तुरंत बाद खरपतवारनाशियों के उपयोग किए जाने की स्थिति में 20 से 25 दिन की स्थिति में बेल चलित डोरा या कल्पा चलाना चाहिए।